THE DEFINITIVE GUIDE TO SIDH KUNJIKA

The Definitive Guide to sidh kunjika

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पां पीं पूं पार्वती पूर्णा खां खीं खूं खेचरी तथा ।

देवी माहात्म्यं दुर्गा सप्तशति त्रयोदशोऽध्यायः

देवी माहात्म्यं दुर्गा सप्तशति सप्तमोऽध्यायः

जाग्रतं हि महादेवि जपं सिद्धं कुरुष्व मे।

ज्वालय ज्वालय ज्वल ज्वल प्रज्वल प्रज्वल

मारणं मोहनं वश्यं स्तम्भनोच्चाटनादिकम्।

पां पीं पूं पार्वती पूर्णा खां खीं खूं खेचरी तथा॥

दकारादि दुर्गा अष्टोत्तर शत नामावलि

इस पाठ के करने से अष्टसिद्धियां प्राप्त होती हैं.

देवी माहात्म्यं दुर्गा सप्तशति द्वादशोऽध्यायः

छठ की व्यापकता में पोखर तालाब से टूटता नाता

ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे। ॐ ग्लौं हुं क्लीं जूं सः ज्वालय ज्वालय ज्वल ज्वल प्रज्वल प्रज्वल ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे ज्वल हं सं लं क्षं फट् स्वाहा।।

देवी माहात्म्यं दुर्गा सप्तशति षष्ठोऽध्यायः

ग्रहों के अशुभ प्रभाव खत्म हो जाते हैं. धन लाभ, विद्या अर्जन, शत्रु पर विजय, नौकरी में पदोन्नति, अच्छी सेहत, कर्ज से check here मुक्ति, यश-बल में बढ़ोत्तरी की इच्छा पूर्ण होती है.

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